Importance of Protein in our Life
दोस्तों हम बचपन से एक कहावत सुनते आये हैं पहला सुख निरोगी काया| किन्तु क्या आज हम उतने ही स्वस्थ हैं जितने हमारे पूर्वज हुआ करते थे? दोस्तों हमारे पिछले लेखों में हमने प्रतिरोधक क्षमता के ऊपर बहुत बात की है और करना आवश्यक भी था क्योंकि हमारी प्रतिरोधक क्षमता ही किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए हमारा सबसे बड़ा हथियार है|
नमस्कार दोस्तों! आशा करता हूँ कि सभी अपने घरों पर, स्वस्थ होंगे| आज मैं आपके साथ बात करने वाला हूँ प्रोटीन के बारे में कि प्रतिरोधक क्षमता में प्रोटीन का क्या महत्त्व है, प्रोटीन क्या होता है, प्रोटीन के प्रकार, हमारे शरीर में प्रोटीन की भूमिका क्या है, प्रोटीन की कमी से होने वाली हानि और हमें अच्छे प्रोटीन स्त्रोत की आवश्यकता क्यों है और एलिमेंट्स वैलनेस प्रोटीन पाउडर के लाभ के बारे में| यदि आपको ये जानकारी अच्छी लगे तो हमें comment में बताइए और आप किस विषय में जानना चाहते हैं वो भी बताइए जिससे हम आपके लिए और भी महत्वपूर्ण जानकारी लेके आते रहें| तो आइये शुरू करते हैं|
प्रतिरोधक क्षमता में प्रोटीन का महत्व
हम अपने पिछले लेखों में पढ़ा है कि हमारी प्रतिरोधक क्षमता कितनी महत्वपूर्ण है| आज से बहुत वर्ष पहले लोगों में इतनी बीमारियाँ सुनने को नहीं मिलती थीं| 60-70-80 वर्ष के लोग भी बड़े आराम से रहते थे किन्तु जैसे-जैसे सुविधाएँ बढ़ती जा रही हैं, प्रोद्योगिकी का विकास होता जा रहा है, वैसे-वैसे हमें नई-नई बीमारियाँ भी सुनने को मिल रही हैं| दोस्तों, हमने कभी नहीं सोचा था कि एक वायरस की वजह से हम अपने घरों में बंद हो जायेंगे, जैसा कि कई हॉलीवुड की फिल्म्स में दिखाया जाता है| इसलिए दोस्तों, ऐसी किसी भी परिस्तिथि के लिए हमें पहले से तैयार रहना चाहिए|
जब से कोरोना वायरस विश्व में फैला है, चरों ओर एक ही बात सुनाई दे रही है कि अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाइये| जैसा कि हमने अपने पिछले लेखों, प्रतिरोधक क्षमता का कवच – कवचप्राश, प्रतिरोधक क्षमता क्या है आदि में पढ़ा है कि प्रतिपल, जैसे हम सांस लेते हैं, खाते हैं, पीते हैं, किसी वस्तु को छूते हैं तो लाखों कीटाणु, जीवाणु, रोगाणु आदि हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं| इन सबसे रक्षा करने के लिए हमारे शरीर में प्रतिपल एक प्रणाली कार्य करती है जिसे हम प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कहते हैं| ये रोगाणु, जीवाणु, कीटाणु, विषैले तत्व आदि जब प्रतिपल हमारे शरीर पर हमला करते हैं तो ये प्रतिरोधक क्षमता ही है जो 24 x 7 अर्थात् प्रतिपल इनसे हमारी रक्षा करती है|
प्रतिरोधक क्षमता दुर्बल कैसे होती है?
दोस्तों प्रतिरोधक क्षमता को दुर्बल करने वाले कारक हैं:
अत्यधिक तनाव (Chronic Stress)
बाहर का खाना (Junk Food)
अत्यधिक दवाइयों का सेवन (Synthetic Drugs)
मद्यपान और धूम्रपान (Drinking and Smoking)
प्रदूषित वातावरण (Polluted Environment)
कम नींद लेना (Inadequate Sleep)
आलस (Inactive People)
पानी की कमी (Dehydration)
कीटनाशक (Pesticides and Insecticides)
विकिरण (Mobile Radiation and Sun Exposure)
विषाक्त पदार्थों का संचय (Accumulation of Toxins)
इन सभी कारकों के बारे में हम पिछले लेखों में विस्तार से पढ़ चुके हैं| यदि आपको इनके बारे में विस्तार से पढना है तो हमारे पिछले लेख देखें| प्रोटीन के लाभ समझने से पहले बात करते हैं कि ये प्रोटीन होता क्या है?
प्रोटीन क्या होता है?
हमारे शरीर में प्रतिदिन पाँच चीजों की आवश्यकता होती है – प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा (fat), विटामिन, खनिज (mineral). इनमें से प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और वसा को macronutrients (स्थूल पोषक तत्व) कहते हैं क्योंकि हमें इन तीनों की आवश्यकता अधिक होती है तथा micronutrients (सूक्ष्म पोषक तत्व) होते हैं विटामिन और खनिज क्योंकि इन दोनों की हमें कम मात्रा में आवश्यकता होती है|
कहते हैं कि भारतीय भोजन एक संपूर्ण आहार होता है| ऐसा क्यों कहा जाता है? क्योंकि हम हमारे भोजन में रोटी, चावल, दाल, सब्ज़ी, चटनी, सलाद, रायता आदि चीज़ें लेते हैं| रोटी, चावल से हमें कार्बोहायड्रेट मिलता है, दाल से हमें प्रोटीन मिलता है, घी, तैल से हमें वसा मिलता है, सब्ज़ी हमें विटामिन और खनिज देती है| इसलिए कहा जाता है कि भारतीय खाना एक सम्पूर्ण भोजन है| अब चिंता का विषय यह है कि हमारे शरीर के पास वसा और कार्बोहायड्रेट को संग्रहित करने की शक्ति तो है किन्तु वो प्रोटीन का संग्रह नहीं कर सकता इसलिए प्रोटीन को हमें प्रतिदिन अपने भोजन से लेना आवश्यक हो जाता है|अब जब ये प्रोटीन हमारे शरीर में जाता है तो हमारा शरीर उसे एमिनो एसिड में तोड़ देता है| एमिनो एसिड क्या होत्ता है? ये प्रोटीन पाचन का अंतिम उत्पाद जो ऊतकों (tissues) की वृद्धि और मरम्मत के लिए आवश्यक है। लगभग 500 प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले एमिनो एसिड ज्ञात हैं, हालांकि केवल 20 ही हमारे आनुवंशिक कोड में दिखाई देते हैं| आज हम इन्हीं 20 एमिनो एसिड पर बात करेंगे| इन एमिनो एसिड में से 9 ऐसे हैं जो हमारा शरीर नहीं बना पाता| इसलिए इन्हें आवश्यक एमिनो एसिड कहा जाता है| अब ये मिलेगा कहाँ से? तो हम जो भोजन करते हैं उससे ये 9 आवश्यक एमिनो एसिड हमारे शरीर में जाते हैं|
ये एमिनो एसिड हमारे शरीर में निर्माण खण्ड (Building Block) का कार्य करते हैं| जहाँ इनकी आवश्यकता होती है ये वहाँ पहुँच जाते हैं| प्रोटीन हमारे शरीर में हर जगह होता है जैसे बाल, नाखून, मांसपेशियाँ, हड्डियाँ, त्वचा, आँखें, रक्त आदि| तो जहाँ जिस एमिनो एसिड की आवश्यकता है वो वहाँ जाकर जुड़ जाता है और एक नया प्रोटीन बना लेता है और हमारा शरीर उसका उपयोग कर लेता है|
प्रोटीन के प्रकार: प्रोटीन दो प्रकार का होता है – एक पूर्ण प्रोटीन और दूसरा अपूर्ण प्रोटीन| आवश्यक 9 एमिनो एसिड जिनसे मिलते हैं उन्हें पूर्ण प्रोटीन कहा जाता है जैसे जानवरों से मिलने वाली वस्तुएँ जैसे माँस, मछली, अंडा, आदि, सोया और टोफू भी पूर्ण प्रोटीन की श्रेणी में आते हैं| माँसाहार से पूर्ण प्रोटीन तो मिल जाता है किन्तु इसका अधिक सेवन करने से बुरा कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ जाता है| इसलिए जो लोग अधिक माँसाहार लेते हैं उन्हें आगे चलकर कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है| अपूर्ण प्रोटीन वाला भोजन वो होता है जिससे हमें वो 9 आवश्यक एमिनो एसिड नहीं मिल पाते| जैसे यदि हम केवल दाल खाएं, या केवल चावल खाएं तो हमें पूरा प्रोटीन नहीं मिल पायेगा| हमारे भारतीय भोजन की यही विशेषता है कि हम अकेली कोई भी भोजन सामग्री नहीं खाते| हमारे भोजन में प्रसिद्ध है दाल-चावल, राजमा-चावल, रोटी-दाल-चावल-सब्ज़ी, खिचड़ी आदि अर्थात् हमारे शाकाहारी भोजन में जब हम 2-3 चीज़ें मिला कर खाते हैं तो हमें पूर्ण प्रोटीन मिलता है| जब हम बीमार होते हैं तो डॉक्टर भी यही कहते हैं कि आप दाल-चावल खाओ, खिचड़ी खाओ क्योंकि इससे पूर्ण प्रोटीन मिल जाता है|
हमारे शरीर में प्रोटीन की भूमिका
जैसा कि हमने पहले भी पढ़ा है कि हमारे शरीर में सिर के बाल से लेकर पाँव के नाखून तक हर जगह प्रोटीन की भूमिका है| बात करते हैं कि प्रोटीन की कहाँ-कहाँ क्या भूमिका है|
प्रतिरक्षा (Defense):
हमारी रक्षा में प्रोटीन का बहुत बड़ा योगदान है| जब भी बाहर से कोई भी कीटाणु या रोगाणु हमारे शरीर पर हमला करते हैं तो हमारे शरीर में एंटीबॉडी होती हैं, जिन्हें हम हमारे शरीर का सिपाही भी कह सकते हैं, जो बाहरी आक्रमण से लड़ने का कार्य करती हैं| यदि हमारे शरीर में प्रोटीन की कमी होगी तो एंटीबॉडी कम बनेंगे और हमारी प्रतिरोधक क्षमता कम होनी शुरू हो जाएगी और हम अच्छे से जानते हैं कि जब हमारी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो हमें बहुत सारी बीमारियाँ घेर लेती हैं|
संचार (Communication)इसे हम एक उदहारण से समझते हैं| हम जानते हैं कि जब हम भोजन करते हैं तो हमारे शरीर में शुगर का स्तर बढ़ जाता है तो हमारा अग्नाशय (Pancreas) इन्सुलिन बनता है जो एक तरह की चाबी होता है जो हमारी कोशिकाओं पर लगे ताले को खोलता है और शुगर हमारे रक्त से निकलकर हमारी कोशिकाओं में चला जाता है| ये जो इन्सुलिन (चाबी) है ये एक तरह का प्रोटीन ही होता है, तो जब प्रोटीन की कमी हो जाएगी तो ये चाबियाँ अच्छे से नहीं बनेंगी और शुगर को नियंत्रित करने में समस्या आएगी| इसलिए मधुमेह के रोगी को प्रोटीन खाने की सलाह दी जाती है| इसके बाने में विस्तृत जानकारी के लिए हमारे पिछले लेख मधुमेह और आप को अवश्य पढ़ें|
किण्वक (Enzyme):हमारे शरीर में बहुत प्रकार के किण्वक होते हैं| जैसे जब हम चावल खाते हैं तो उससे हमें कार्बोहायड्रेट मिलता है तो उस कार्बोहायड्रेट को पचाने के लिए तोड़ने का काम किण्वक करते हैं, जब हम घी ये तैल खाते हैं तो उससे हमें वसा मिलता है तो उस वसा को पचाने के लिए उसको तोड़ने का काम किण्वक करते हैं, जब हम प्रोटीन खाते हैं तो उस प्रोटीन को पचाने के लिए उसको तोड़ने का काम किण्वक करते हैं अर्थात् जो भी हम खाते हैं उसे अलग अलग घटकों में तोड़ने का काम अलग अलग किण्वकों का होता है| तो यदि हमारे भोजन में प्रोटीन की कमी है तो हमारा भोजन अच्छे से नहीं पचेगा और भोजन अच्छे से नहीं पचेगा तो उससे मिलने वाले पोषक तत्व हमारे शरीर को नहीं मिलेंगे|
परिवाहक (Transport):
परिवाहक प्रोटीन हमारे रक्तप्रवाह में पदार्थों को ले जाता है - कोशिकाओं के बाहर और कोशिकाओं के भीतर। इन प्रोटीनों द्वारा पहुँचाए जाने वाले पदार्थों में विटामिन या खनिज, रक्त शर्करा (blood sugar), कोलेस्ट्रॉल और ऑक्सीजन जैसे पोषक तत्व शामिल हैं। उदाहरण के लिए, हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो हमारे फेफड़ों से शरीर के ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। ग्लूकोज परिवाहक (GLUT) हमारी कोशिकाओं में ग्लूकोज ले जाते हैं, जबकि लिपोप्रोटीन (Lipoproteins) हमारे रक्त में कोलेस्ट्रॉल और अन्य वसा का परिवहन करते हैं। प्रोटीन परिवाहक विशिष्ट हैं, जिसका अर्थ है कि वे केवल विशिष्ट पदार्थों से बंधेंगे। दूसरे शब्दों में, ग्लूकोज को स्थानांतरित करने वाला एक प्रोटीन परिवाहक कोलेस्ट्रॉल को स्थानांतरित नहीं करेगा।
भण्डारण (Storage):
प्रोटीन की भण्डारक की भूमिका भी होती है। फेरिटिन एक भण्डारण प्रोटीन है जो आयरन को संग्रहित करता है। एक अन्य भण्डारण प्रोटीन कैसिइन है, जो दूध में प्रमुख प्रोटीन है जो बच्चों को बढ़ने में मदद करता है।
संरचना (Structure):
कुछ प्रोटीन रेशेदार होते हैं और दृढ़ता और कठोरता के साथ कोशिकाओं और ऊतकों को इसे प्रदान करते हैं। इन प्रोटीनों में केराटिन (Keratin), कोलेजन (Collagen) और इलास्टिन (Elastin) शामिल हैं, जो हमारे शरीर में कुछ संरचनाओं के संयोजी ढांचे को बनाने में मदद करते हैं। केराटिन एक संरचनात्मक प्रोटीन है जो हमारी त्वचा, बालों और नाखूनों में पाया जाता है। कोलेजन हमारे शरीर में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन है और हमारी हड्डियों, स्नायुबंधन और त्वचा का संरचनात्मक प्रोटीन है। इलास्टिन, कोलेजन की तुलना में कई सौ गुना अधिक लचीला होता है। इसका उच्च लचीलापन हमारे शरीर में कई ऊतकों जैसे गर्भाशय, फेफड़े और धमनियां आदि को अपने मूल आकार में वापस लौटने की अनुमति देता है।
प्रोटीन की कमी से होने वाली हानि
अधिक भूख लगना (Food Craving)
जैसे हमने अच्छे से नाश्ता किया किन्तु थोड़ी देर बाद फिर से भूख लगने लग जाती है, अच्छे से भोजन किया और थोड़ी देर बाद फिर कुछ खाने की इच्छा करने लगी तो यदि हमें ऐसे लक्षण दिखें तो इसका अर्थ ये है कि हमें समझ लेना चाहिए कि हमारे अन्दर प्रोटीन की कमी है| जैसे जब हम प्रोटीन से भरपूर भोजन करते हैं तो प्रोटीन हमारे मस्तिष्क को एक सन्देश भेजता है कि पेट भर गया वहीँ जब हम बहार कुछ भी खाते हैं जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर आदि जिनमें कार्बोहायड्रेट अधिक होता है तो हम अधिक खा जाते हैं और बाद में लगता है कि बहुत अधिक खा लिया क्योंकि कार्बोहायड्रेट मस्तिष्क को इतनी तीव्रता से सन्देश नहीं पहुँचाता| इसलिए प्रोटीन से भरपूर भोजन करने से हमें जल्दी भूख नहीं लगती|
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना (Muscle and Joint Pain)जैसा कि हमने पहले भी पढ़ा है कि हम कुछ भी काम करते हैं जैसे खाते हैं या व्यायाम करते हैं तो हमारी मांसपेशियाँ टूटती हैं, बनती हैं जिसकी वजह से हमारी मांसपेशियाँ दुर्बल होने लगती हैं, जोड़ों में दर्द होने लगता है, हड्डियाँ दुर्बल होने लगती हैं उनमें दर्द होने लगता है| इसलिए हमें उनकी मरम्मत के लिए प्रतिदिन प्रोटीन चाहिए| तो जिन व्यक्तियों को ये समस्या आ रही है तो निशित ही उनके भोजन में प्रोटीन की कमी है|
बाल, नाखुन और त्वचा की समस्या (Hair, Nail and Skin Problems)
बात करते हैं कि बहुत सारे लोगों को समस्या होती है कि उनके बहुत अधिक बाल झड़ते हैं, त्वचा बहुत रूखी हो रही है या उस पर बहुत दाने हो रहे हैं, नाखून बहुत नाज़ुक हैं जो आसानी से टूट जा रहे हैं| इसका कारण क्या है?
हमारे बाल, त्वचा और नाखून कैरेटिन नामक प्रोटीन से बने होते हैं इसलिए हमारे बाल, हमारी त्वचा और हमारे नाखून को अच्छा रखने में प्रोटीन की मुख्य भूमिका होती है| बहुत लोग कहते हैं कि ये क्रीम लगालो, वो पाउडर लगा लो तो बाल काले हो जायेंगे, त्वचा मुलायम हो जाएगी आदि| किन्तु ऊपर से लगाने से बेहतर है कि हम कुछ ऐसा खायें जो अन्दर से जाकर काम करे और हमारे बाल, त्वचा और नाखून को अच्छा रखे|तरल प्रतिधारण (Fluid Retention)
बहुत सारे लोगों को तरल प्रतिधारण की भी समस्या हो जाती है| ऐसे कई लोग देखने में आते हैं जो अधिक खाते नहीं हैं, दुबले पतले होते हैं किन्तु पेट बहुत अधिक बाहर निकला हुआ होता है या हाथों और पैरों में सूजन आ जाती है| इसका कारण क्या है कि प्रोटीन हमारे शरीर में तरल पदार्थ का संतुलन बनाए रखने में बहुत सहयोग करता है| हमारे रक्त में Albumin नाम का एक प्रोटीन होता है जो हमारे पूरे रक्त में प्रसारित होता है| ये हमारी कोशिकाओं के अन्दर और बहार के तरल को संतुलित रखने में सहायता करता है| तो जब हमारे शरीर में प्रोटीन की कमी होगी तो जो तरल है वो हमारी कोशिकाओं तक नहीं पहुँच पायेगा और बहार ही जमा होना शुरू हो जायेगा|
जल्दी जल्दी बीमार होना (Getting Sick Regularly)
हमने देखा है की कई लोग बहुत जल्दी जल्दी बीमार पड़ जाते हैं| थोड़ा-सा भी मौसम बदला या थोड़ा-सा भी ठंडा-गरम हुआ तो बीमार पड़ जाते हैं| ऐसा क्यों होता है? हमारे रक्त में एमिनो एसिड हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी बनाने में मदद करते हैं जो वायरस, बैक्टीरिया और विषाक्त पदार्थों से लड़ने के लिए श्वेत रक्त कणिकाओं को सक्रिय करते हैं। हमें अन्य पोषक तत्वों को पचाने और अवशोषित करने के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है जो हमें स्वस्थ रखते हैं। इस बात के भी प्रमाण हैं कि प्रोटीन हमारी आंत में रोग से लड़ने वाले "अच्छे" बैक्टीरिया के स्तर को बदल सकता है।
चोट का देर से ठीक होना (Slow Recovery from Injuries)
कुछ लोगों के घाव हो जाते हैं वो जल्दी से नहीं भरते| घावों का भरना इस पर निर्भर करता है कि हम कितना अच्छा पोषण अपने भोजन में ले रहे हैं साथ ही हम कितने प्रोटीन का सेवन कर रहे हैं। प्रोटीन हमारे शरीर में निर्माण खण्ड (building block) का कार्य करता है| जब हमारे शरीर में प्रोटीन की कमी होती है तो हमारी कोशिकाओं को पूर्ण पोषण नहीं मिल पाता जिससे वो हमारे शरीर पर लगे घाव को जल्दी से ठीक नहीं कर पातीं| एक शोध के अनुसार, प्रोटीन की कमी से घाव भरने की दर कम हो जाती है और कोलेजन का गठन कम हो जाता है।
रात को अच्छी नींद नहीं आना (Not Getting Proper Sleep)
कुछ लोगों को रात को गहरी नींद नहीं आती| बहुत अधिक चिढ़चिढ़ापन या तनाव रहता है तो इसका मतलब है कि आपके भोजन में प्रोटीन की कमी है| ऐसा क्यों होता है? हमारा शरीर न्यूरोट्रांसमीटर पर काम करता है| इन न्यूरोट्रांसमीटर को कुछ एमिनो एसिड की आवश्यकता होती है जो कि हमारे शरीर में हमारी मन:स्तिथि को नियंत्रित करते हैं| हमारे शरीर में ऑक्सीटोसिन जैसे कुछ हॉर्मोन होते हैं जो हमें अच्छा महसूस करने में सहायता करते हैं| ये हॉर्मोन अच्छे से तभी काम कर पाते हैं जब हमारे शरीर में एमिनो एसिड अच्छे से पहुँचते हैं| अब एमिनो एसिड अच्छे से पहुँचें इसके लिए प्रोटीन सही मात्र में हमारे शरीर में पहुँचना चाहिए|
आयुर्वेद हमेशा कहता है कि सुबह फलों का रस पीना चाहिए, दोपहर में छाछ या लस्सी और रात में दूध पीना चाहिए| रात में दूध क्यों? क्योंकि दूध में प्रोटीन तो होता ही है साथ में ट्रिपटोफैन (Tryptophan) नाम का एमिनो एसिड भी होता है जो कि अच्छी नींद लाने में भी सहायता करता है|
हमें अच्छे प्रोटीन स्त्रोत की आवश्यकता क्यों है?
एक अध्ययन के अनुसार आज के समय में 10 में से 9 भारतीयों के भोजन में प्रोटीन की कमी है| 73% शहरी भारतीयों के भोजन में प्रोटीन की कमी है और बड़ों के भोजन में प्रोटीन की कमी है तो बच्चों के भोजन में तो प्रत्यक्ष रूप से प्रोटीन की कमी होगी ही| 62% गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं के भोजन में प्रोटीन की कमी होती है| इससे हम समझ सकते हैं कि यदि गर्भवती महिला के भोजन में प्रोटीन की कमी है तो उसके होने वाला बच्चा भी निर्बल होगा और उसकी प्रतिरोधक क्षमता भी कम होगी|
अक्सर देखा गया है कि प्रोटीन वो लोग लेते हैं जो जिम आदि में अधिक व्यायाम करते हैं| एलिमेंट्स वैलनेस प्रोटीन पाउडर इस तरह से बनाया गया है कि इसे बच्चे, बड़े, महिलाऐं आदि सभी ले सकते हैं| ऐसे कौनसे घटक हैं जो इसे विशेष बनाते हैं?
एलिमेंट्स वैलनेस प्रोटीन पाउडर पाँच घटकों को मिलाकर बनाया गया है:
व्हेय प्रोटीन (Whey Protein)
सोया प्रोटीन (Soy Protein)
मटर से मिलने वाला प्रोटीन (Pea Protein)
आँवला
ब्राह्मी
एलिमेंट्स वैलनेस प्रोटीन पाउडर की विशेषता है कि आप इसे किसी भी चीज़ जैसे दूध, पानी, फलों का रस, रोटी, लड्डू आदि में मिलाकर ले सकते हैं| ये हमें पूर्ण पोषण देने के साथ हमारी शारीरिक शक्ति, क्षमता और प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है| आइये इन घटकों के बारे में थोड़ा समझते हैं|
व्हेय प्रोटीन:
दूध में जब थोड़ा सा नींबू का रस डालते हैं तो वो फट जाता है| तो फटे हुए दूध को अलग करके जो पनीर जैसी चीज़ बच जाती है तो उसे सुखाया जाता है, उसको शुद्ध किया जाता है, फिर उसका पाउडर बनाया जाता है| इसे ही व्हेय प्रोटीन कहा जाता है| व्हेय प्रोटीन को पूर्ण प्रोटीन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें 9 आवश्यक एमिनो एसिड पाए जाते हैं| इसमें lactose भी बहुत कम मात्र में होता है तो जो लोग lactose को पचा नहीं पाते हैं उनके लिए भी ये बहुत लाभकारी है| ये कर्क रोग होने से बचाता है साथ में कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है| जिन व्यक्तियों को दमे की बीमारी है, उच्च रक्तचाप या हृदय सम्बन्धित कोई समस्या है उनके लिए भी ये बहुत लाभकारी है| HIV+ के रोगियों का जो अचानक से वज़न कम हो जाता है उसे भी संभालता है और प्राकृतिक तरीके से वज़न को कम करने के भी काम आता है|
सोया प्रोटीन:सोया प्रोटीन को भी पूर्ण प्रोटीन माना जाता है अर्थात् इसमें भी 9 एमिनो एसिड पाए जाते हैं| एलिमेंट्स वैलनेस प्रोटीन पाउडर में सोया से प्रोटीन को अलग करके उसका उपयोग किया गया है| सोया प्रोटीन हृदय की बीमारियों में बहुत अच्छे से कार्य करता है, ये कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है, ये लिपिड प्रोफाइल को संतुलित रखता है, ये ऑस्टियोपोरोसिस में बहुत लाभकारी है और रजोनिवृत्ति के समय व उसके बाद होने वाली समस्याओं से निपटने में भी सहायक है, ये कर्क रोग होने से बचाता है, गुर्दों को अच्छा रखता है, मधुमेह को भी नियंत्रित रखने में सहायक है और आँखों की सेहत को भी अच्छा रखता है|
मटर से मिलने वाला प्रोटीन (Pea Protein):ये हरी मटर से निकला गया प्रोटीन होता है और ये भी पूर्ण प्रोटीन होता है अर्थात् इसमें भी 9 आवश्यक एमिनो एसिड पाए जाते हैं| इसमें BCAA (Branched Chain Amino Acid) बहुतायत में पाया जाता है| क्या होता है ये? जब इन 9 आवश्यक एमिनो एसिड में से 3 एमिनो एसिड आपस में जुड़ जाते हैं तो उनको हम BCAA कहते हैं| ये हमारी मांसपेशियों को बढ़ाने में सहायता करता है| ये बहुत धीरे धीरे पचता है जिससे हमारा पेट अधिक समय तक भरा रहता है और जल्दी भूख नहीं लगती| जिन व्यक्तियों को lactose या gluten से एलर्जी है वो भी इसे बड़ी आसानी से ले सकते हैं|
आँवला:जैसा कि हम सब जानते हैं और हमने अपने पिछले लेखों में पढ़ा भी है कि आँवला एक बहुत शक्तिशाली एन्टी-ऑक्सीडेंट है, ये हमारे यकृत को अच्छा रखता है, रक्त को शुद्ध करता है और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी सहायता करता है|
ब्राह्मी:ब्राह्मी मस्तिष्क के लिए बहुत ही लाभकारी होती है| छोटे बच्चे जब इस प्रोटीन पाउडर को लेते हैं तो उनका ध्यान केन्द्रित करने में सहायता करता है और स्मृति को भी अच्छा रखने में सहायता करता है|
एलिमेंट्स वैलनेस प्रोटीन पाउडर अन्य प्रोटीन पाउडर से बेहतर कैसे है?इसमें व्हेय प्रोटीन के साथ मटर से मिलने वाला प्रोटीन भी डाला गया है तथा ये सम्मिश्रण किसी अन्य प्रोटीन पाउडर में नहीं मिलेगा|
इसमें आँवला और ब्राह्मी भी डाला आया है जिसका शक्तिशाली सम्मिश्रण भी किसी अन्य प्रोटीन पाउडर में नहीं मिलेगा|
इसमें वसा ना के बराबर है इसलिए इसे कोई भी व्यक्ति ले सकता है|
सबसे मुख्य बात – इसका PDCAAS (Protein Digestibility Corrected Amino Acid Score) 1 है| क्या होता है ये? ये प्रोटीन की गुणवत्ता को बताता है कि आप जो एमिनो एसिड ले रहे हैं आपका शरीर उसको कितना ले पा रहा है, कितना उपयोग कर पा रहा है और कितना पचा पा रहा है| जिस प्रोटीन पाउडर का PDCAAS 1 होता है तो वो सबसे अच्छा माना जाता है|
एलिमेंट्स वैलनेस प्रोटीन पाउडर से आपको 100 ग्राम में से 80 ग्राम प्रोटीन मिलता है और वो 95% से अधिक पचाने योग्य होता है| इसके साथ ही इसमें प्रति 100 ग्राम 13.9 ग्राम BCAA भी मिलता है|
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