Diabetes - The Biggest Epidemic in Human History

मधुमेह (Diabetes) और आप (You)

प्रश्न: मधुमेह क्या है?

उत्तर: जब हम किसी भी सामान्य व्यक्ति से पूछेंगे कि मधुमेह क्या है, तो वो यही कहेगा कि रक्त में शुगर की मात्रा का बढ़ना| जब रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है तो हम कहते हैं कि हमें मधुमेह हो गया है| जब हम खाना खाते हैं तो वो हमारे पेट में जाकर पचता है और पचने के बाद शुगर बनता है और वो शुगर हमारे रक्त में चला जाता है| अब जैसे ही शुगर हमारे रक्त में जाता है, वैसे ही हमारा अग्नाशय (Pancreas) इन्सुलिन (Insulin) बनाता है और इसे हमारे रक्त में छोड़ देता है| ये इन्सुलिन एक प्रकार की चाबी है जो हमारी कोशिकाओं में लगे ताले को खोलती है और तब शुगर हमारी कोशिकाओं के अन्दर जा पाती है|

कहते हैं कि मधुमेह कोई बीमारी नहीं है बल्कि ये एक प्रकार का विकार (Disorder) है| जब कोई अपने क्रमानुसार कार्य नहीं करता है तो विकार उत्पन्न होते हैं|

Source: Diabetes.co.uk
मधुमेह तीन प्रकार का होता है:

  1. टाइप – 1 (Type1) - इसमें हमारा अग्नाशय इन्सुलिन बना ही नहीं पाता है| ऐसे में हमारे शरीर को इन्सुलिन बहार से देना पड़ता है|
  2. टाइप – 2 (Type2) - इसमें इन्सुलिन हमारे शरीर में बनता तो है लेकिन अच्छे से काम नहीं कर पाता जिससे शुगर नियंत्रित नहीं हो पाती है|
  3. गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes Mellitus) - जैसा कि इसके नाम से ही विदित है, इस प्रकार का मधुमेह गर्भवती महिलाओं में देखा जाता है|

COVID-19 और मधुमेह

डॉ. जुगल किशोर शर्मा, एमडी, एफआरसीपी, ने बताया कि चीन के वुहान में किए गए अध्यायानुसार उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी समस्याओं से ग्रसित लोगों में कोरोनावाइरस से जान जाने का ख़तरा अधिक है| अमेरिकन डायबिटीज़ एसोसिएशन के अनुसार मधुमेह से पीड़ित लोगों के रक्त में शुगर के लगातार उतार-चढ़ाव से उनका उपचार करना कठिन हो जाता है| इंटरनेशनल डायबिटीज़ फेडरेशन के अनुसार वर्ष 2019 तक भारत में मधुमेह के मरीजों की संख्या 7.7 करोड़ थी| विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मधुमेह ह्रदय, रक्त धमनियों, आँखों, गुर्दे, और नसों को क्षतिग्रस्त कर सकती है| मधुमेह से पीड़ित युवाओं को हृदयाघात की संभावना 2-3 गुना होती है|

Source: Dainik Bhaskar

मधुमेह के कारण

मधुमेह किसी एक कारण से नहीं होता| जब बहुत सारे लक्षण/कारण मिलते हैं तब किसी व्यक्ति को मधुमेह होता है| किन कारणों से होता है?

  • आसीन जीवनशैली - यदि आपकी दिनचर्या में किसी भी तरह का शारीरिक श्रम या व्यायाम शामिल नहीं है तो मधुमेह होने का ये एक बहुत बड़ा कारण है|
  • तनाव - तनाव एक ऐसा कारण है जो शुगर की मात्र को बहुत तीव्र गति से हमारे शरीर में बढ़ता है|
  • एशियाई भारतीय समलाक्षणिक (Asian Indian Phenotype) -आज के समय में हमने बहुत सारे ऐसे लोगों को देखा है जो दुबले-पतले हैं लेकिन पेट बहुत अधिक बाहर निकला हुआ है| जब आप किसी दूसरे देश के मोटे व्यक्ति को देखेंगे जैसे कि अमेरिका, तो आप पाएंगे कि उनका पूरा शरीर मोटा है| इस तरह की जो असामान्यता पाई जाती है तो मधुमेह होने के अवसर बढ़ जाते हैं|
    Diabetes
  • आनुवंशिकता - यदि किसी व्यक्ति के माता-पिता में से किसी एक को भी टाइप – 1 मधुमेह है तो उस व्यक्ति में भी ये होने की प्रबल संभावना रहती है|
  • 40 वर्ष से ऊपर ऊम्र - 40 वर्ष से ऊपर की ऊम्र के लोगों में मधुमेह होने की संभावना रहती है| ऐसा इसलिए होता है कि आज के समय में हमारी जीवनशैली ऐसी हो गई है कि हम हमारे शरीर का ध्यान ही नहीं रखते और 40 वर्ष की ऊम्र तक बीमारियाँ हमारे शरीर को घेर लेती हैं|
  • शरीर में वसा की मात्र अधिक होना - शरीर में वसा की मात्र अधिक होने से हमारा वज़न बहुत अधिक बढ़ जाता है और मधुमेह होने की आशंका भी बढ़ जाती है|
  • अधिक वज़नी बच्चे को जन्म देना - यदि कोई गर्भवती महिला किसी बच्चे को जन्म देती है और उसका वज़न 4 किलो से अधिक है तो उन महिलाओं में मधुमेह होने की आशंका अधिक रहती है|
  • उच्च रक्तचाप - किसी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या है तो ये भी एक कारण है मधुमेह होने का|

मधुमेह के लक्षण

जब हमें मधुमेह होता है तो हमारा शरीर हमें कुछ लक्षण बताता है| आइये इन लक्षणों के बारे में जानते हैं|

  • थकावट महसूस होना - मधुमेह की वजह से हमेशा थके-थके से रहते हैं| ऐसा क्यों होता है? जब हम खाना खाते हैं, खाना हमारे शरीर में जाता है, पचता है, उसका शुगर बनता है और ये शुगर हमारी कोशिकाओं तक नहीं पहुँच पाता| इससे शुगर जो उर्जा हमारे शरीर को देती है वो हमारे शरीर को नहीं मिल पाती और हमें थकावट महसूस होती है|
  • अधिक पेशाब आना - मधुमेह की वजह से पेशाब भी अधिक आने लगता है| ऐसा क्यों होता है? जब हमारे शारीर में शुगर बढ़ जाता है और अच्छे से नियंत्रित नहीं होता है तो शरीर को उलझन होने लगती है जिस वजह से हमें प्यास लगती है| जब अधिक प्यास लगती है तो हम पानी अधिक पीते हैं और इससे पेशाब अधिक आता है|
  • आकस्मिक वज़न का कम होना - मधुमेह की वजह से वज़न तीव्रता से कम होने लगता है| ऐसा क्यों होता है? जब हमारे शरीर को शुगर अच्छे से नहीं मिल पाता तो हमारा शरीर, हमारे शारीर में जो प्रोटीन है उसे उपयोग में लेना शुरू कर देता है मांसपेशियों को तोड़ना शुरू कर देता है जिसकी वजह से वज़न तीव्रता से कम होने लगता है|
  • चोट या घाव का देरी से ठीक होना - जिन लोगों को मधुमेह होता है उनके घाव जल्दी से ठीक नहीं होते हैं जिसकी वजह से उस अंग को काटने तक की नौबत आ जाती है| ऐसा क्यों होता है? अपने घरों में हम देखते हैं कि यदि चीनी गिर जाती है तो वहाँ बहुत सारी चींटियाँ इकट्ठी हो जाती हैं| वैसे ही हमारे शरीर में जब शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है, हमने पिछली बार जाना था कि प्रतिपल बहुत सारे कीटाणु हमारे शरीर पर हमला करते हैं, तो जहाँ पर घाव है वहाँ पर कीटाणुओं को वृद्धि बहुत अधिक हो जाती है जिससे वह घाव जल्दी नहीं भरता और उस अंग को काटने तक की नौबत आ जाती है|
  • यौन रोग - मधुमेह की वजह से बहुत सारे लोगों में यौन रोगों से सम्बंधित समस्याएँ भी देखी जाती हैं|
  • अधिक भूख लगना - मधुमेह के रोगियों की भूख बढ़ जाती है|
  • आँखों की रोशनी का कमज़ोर होना - मधुमेह के बहुत सारे मामलों में देखा गया है कि रोगियों की आँखों की रोशनी कमज़ोर हो जाती है| ऐसा क्यों होता है? हमारे शरीर में बहुत सारी नसें होती हैं| यदि इन्हें गिने तो लगभग 72000 से अधिक नसें हमारे शरीर में होती हैं| अब इनमें कुछ मोटी नसें होती हैं और कुछ पतली नसें होती हैं| तो जो मोटी नसें हैं उनमें यदि शुगर अधिक है तो वो झेल लेती हैं किन्तु पतली नसें जो होती हैं जैसे आँखों के पास की, उँगलियों के पास की आदि उनको क्षति पहुँचने लगती है जिसकी वजह से आँखों की रोशनी कम होने लगती है|
  • हाथों और पैरों का सुन्न होना - जैसा कि हमने अभी जाना कि उँगलियों के पास की पतली नसें जो होती हैं वो अधिक शुगर नहीं झेल पातीं और उनको हानि पहुँचने लगती है जिसकी वजह से हाथ-पैरों में सुन्नपन रहने लगता है| यदि समय रहते इसपर ध्यान नहीं दिया जाये तो इन्हें काटने की नौबत भी आ सकती है|
  • क्रोध | चिड़चिड़ापन | तनाव - जब हमारे शरीर में उपरोक्त समस्याएँ होने लगती हैं तो हमें क्रोध अधिक आने लगता है, चिड़चिड़ापन होने लगता है तो तनाव बहुत बढ़ जाता है|

मधुमेह से होने वाली बीमारियाँ

ऊपर हमने पढ़ा था कि मधुमेह कोई बीमारी नहीं है किन्तु एक विकार है जिसकी वजह से दूसरी बीमारियाँ हमारे शरीर में प्रवेश कर जाती हैं और उसके घातक परिणाम हमें झेलने पड़ते हैं| हमने ये कभी नहीं सुना होगा कि किसी व्यक्ति की मधुमेह की वजह से मृत्यु हो गई किन्तु ये कई बार सुना होगा कि किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई और उनको मधुमेह भी था| मधुमेह से होने वाली बीमारियाँ:

  • सूक्ष्म वाहिकीय जटिलता (Micro-vascular Complications)
Retinopathy (आँखें की रोशनी जाना) - हमारे आँखों के पास की नसें बहुत ही पतली होती हैं तो जब उनमें शुगर की मात्रा बढ़ती है तो उनकी संवेदनशीलता कम हो जाती है और हमारी आँखों की रोशनी कम हो जाती है और उसके जाने का भी ख़तरा होता है|
Neuropathy (नसों का क्षतिग्रस्त होना) - हमारे शरीर में बहुत सारी नसें होती हैं जो बाल से भी पतली होती हैं और बहुत अधिक संवेदनशील होती हैं| जब उनमें शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है तो नसें भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं|
Nephropathy (गुर्दे व मूत्राशय का ख़राब होना) - मधुमेह के बहुत सारे रोगियों में देखा जाता है कि आगे चलकर मधुमेह की वजह से उनके गुर्दे और मूत्राशय क्षतिग्रस्त हो जाते हैं|
  • दिल की बीमारी - यदि आपकी शुगर नियंत्रित नहीं हो रही है तो आगे चलकर दिल दुर्बल हो जायेगा और कई बीमारियों से त्रस्त हो जायेगा|
  • आघात - बहुत सारे लोगों में इसकी समस्या भी देखी जाती है जैसे हृदयाघात (Heart Attack), पक्षाघात (Paralysis) आदि| ऐसा क्यों होता है? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे दिमाग की नसों में जब शुगर अधिक पहुँच जाता है या दिमाग की नसों में क्षति होने लगती है तो वहाँ रक्त ठीक से नहीं पहुँच पाता तो आगे चलकर आघात की समस्या हो सकती है|
  • दांतों और मसूड़ों की समस्या - बहुत सारे लोगों को मधुमेह की वजह से मसूड़ों और दांतों से सम्बंधित समस्या होने लगती है क्योंकि जब नसें कमज़ोर होने लगती हैं तो वो यहाँ भी अपना असर दिखाती हैं|
  • पैरों की समस्या - बहुत सारे लोगों को पैरों में दर्द होने लगता है, पैरों में छाले हो जाते हैं, घाव हो जाते हैं| कई बार तो पैर काटने तक की नौबत आ जाती है|
  • गर्भावस्था की जटिलताएँ - जिन महिलाओं को युवावस्था में ही मधुमेह हो जाता है तो उनको गर्भावस्था में बहुत सारी जटिलताओं का सामना करना पड़ता है|
  • त्वचा का संक्रमण - हमारे रक्त में श्वेत रक्त कणिकाएँ होती हैं जो कि संक्रमण से लड़ने का कार्य करती हैं| जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारी त्वचा में भी रक्त की आपूर्ती होती है तो जब शरीर में शुगर की मात्र बढ़ जाती है तो नसों को क्षति पहुँचती है तो उन तक जब उचित पोषण नहीं पहुँच पाता तो बहुत सारे लोगों को त्वचा का संक्रमण होने लगता है और खुजली होने लगती है|
  • अल्ज़ाइमर (Alzheimer) - अल्ज़ाइमर में मस्तिष्क सिकुड़ जाता है जिससे स्मरण शक्ति क्षीण हो जाती है और व्यक्ति भूलने लगता है| 88% लोगों को मधुमेह के लक्षण होने की वजह से अल्ज़ाइमर होता है|

मधुमेह की ABC

मधुमेह को समझना है तो मधुमेह की ABC को समझना पड़ेगा| आपने सुना होगा कि दुनिया में हर साल लाखों लोगों को दिल की बीमारियाँ होती हैं, हृदयाघात आता है, बहुत सारे लोगों को अचानक से पक्षाघात हो जाता है या मस्तिष्क का आघात आता है; उसमें रक्त स्त्राव हो जाता है| मधुमेह होने की वजह से इन सभी समस्याओं के अवसर अधिक बढ़ जाते हैं| तो यदि आपको अपना मधुमेह ठीक रखना है, शुगर नियंत्रित रखना है तो तीन बातें याद रखने की हैं – A, B और C.

AHbA1C की जाँच सामान्य आनी चाहिए

Source: Diabetes.co.uk

BBlood Pressure (रक्तचाप) सामान्य होना चाहिए

CCholesterol (कोलेस्ट्रॉल) की मात्रा भी नियंत्रण में होनी चाहिए

मधुमेह भारत और भारतीयों के लिए हानिकारक क्यों है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वर्ष 2030 तक मृत्यु का सातवाँ बड़ा कारण मधुमेह होगा और वर्ष 2030 तक 10 करोड़ भारतीयों को मधुमेह होगा| प्रत्येक वर्ष 10 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु मधुमेह की वजह से होने वाली समस्याओं से हो रही है| यही कारण है कि अब भारत को विश्व की मधुमेह की राजधानी कहा जाता है| एक और बात, आज जो लोग Pre-Diabetic हैं, उनमें से 15% से 30% लोगों को आने वाले 5 वर्षों में शत प्रतिशत टाइप – 2 मधुमेह होगा| भारत में 35% लोग ऐसे भी हैं जिन्हें जानकारी ही नहीं है कि उन्हें मधुमेह है| कई बार हमारा शरीर मधुमेह का कोई लक्षण नहीं भी दिखाता है| ऐसे में मधुमेह की जाँच करवा सकते हैं|

मधुमेह की जाँच – ये तीन प्रकार की होती है|

  1. खाली पेट – रात को 8 बजे खाना खाने के बाद अगले दिन सुबह 8 बजे इसकी जाँच होती है| इसमें हम देखते हैं कि जब हम 10-12 घंटे भूखे रहते हैं तब हमारे शरीर में शुगर की मात्रा क्या है|
  2. खाने के बाद – ये खाना खाने के 2 घंटे बाद होती है| इसमें हम देखते हैं कि खाना खाने के 2 घंटे के बाद हमारे शरीर में शुगर की मात्रा क्या है|
  3. HbA1c (Glycated Haemoglobin) – बहुत सारे लोगों को तो ये पता ही नहीं होता कि ये कौनसी जाँच होती है| इसके बारे थोड़ा विस्तार से समझते हैं| HbA1c का अर्थ होता है हीमोग्लोबिन पर लगा हुआ शुगर| ये जितना अधिक होगा, समस्या उतनी ही अधिक होगी| ये जाँच 3-4 महीने में एक बार कराई जाती है| ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हीमोग्लोबिन की ऊम्र लगभग 120 दिन की होती है| तो जब 3-4 महीने में नया हीमोग्लोबिन बनेगा तब पता चलेगा कि कितना हीमोग्लोबिन बढ़ा है या कम हुआ है|

बाज़ार में उपलब्ध मधुमेह के समाधान

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बाज़ार में मधुमेह की दवाइयाँ भरी पड़ी हैं किन्तु उन दवाइयों के बहुत सारे दुष्प्रभाव होते हैं| वर्ष 2016 में एक अखबार में एक ख़बर आई थी जिसमें लिखा था कि बहुत सारी FDC (Fixed Dose Combination) वाली दवाईयों पर पाबंदी लगा दी गई है| बहुत सारे लोगों को झटका लगा था क्योंकि वो तो कई वर्षों से उन दवाइयों को ले रहे थे| किन्तु एक अनुसन्धान में पाया गया कि लम्बे समय तक इन दवाइयों को लेने के बहुत गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं|

Source: Times of India

वर्ष 2018 में भी इसी तरह से बहुत सारी मधुमेह की दवाइयों को प्रतिबंधित किया गया क्योंकि लम्बे समय तक लेने में उनके बहुत गंभीर दुष्परिणाम देखे गए थे| जितना हम सोच भी नहीं सकते उससे भी ख़तरनाक मधुमेह की दवाइयाँ बजाए में उपलब्ध हैं| कुछ दवाइयां तो इतनी ख़तरनाक हैं कि उनको लेने से अग्नाशय का कैंसर (Pancreatic Cancer) तक हो सकता है|
Source: Hindustan Times

मधुमेह के लिए सबसे प्रभावी, प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय - DiabaLife

यदि बाज़ार में उपलब्ध दवाइयों के इतने ख़तरनाक दुष्परिणाम हैं तो मधुमेह के लिए प्रभावी और सुरक्षित इलाज क्या है? इसके लिए एक ऐसा आयुर्वेदिक उपाय जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक है, सुरक्षित है, पूर्ण रूप से प्रभावी है और मधुमेह को नियंत्रित करने में प्राकृतिक रूप से सहयोग करता है| उस उपाय का नाम है ON & ON DiabaLife. इसमें बहुत अच्छी और अद्वितीय सामग्री का उपयोग किया गया है|

DiabaLife एक अनुसन्धान आधारित सूत्रीकरण (Research Based Formulation) है जिसमें 100% स्थिर Allicin (लहसुन में उपस्थित जीवाणुरोधी गुणों के साथ एक तीखा तैल तरल) डाला गया है| DiabaLife में उपयोग में आने वाले घटक:

  • Allicin –जैसा कि हम सभी को विदित है कि लहसुन हजारों वर्षों से चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग में आता रहा है| इसका उपयोग कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने में होता रहा है| बात करते हैं कि ये Allicin होता क्या है? जब हम लहसुन को काटते हैं तो उसकी एक कली के एक छोर पर होता है Alliin और दुसरे छोर पर होता है Alliinase. जैसे ही हम लहसुन को काटते हैं, चबाते हैं या पीसते हैं तो इन दोनों में एक रासायनिक क्रिया होती है और तब बनता है Allicin. जब ये Allicin शरीर में बनता है तो इसके कुछ लाभ होते हैं|

जब हम सुबह उठते हैं और कच्चे लहसुन को खाते हैं तो वो पेट में जाकर पचता है और जैसे ही Allicin हमारे रक्त तक पहुँचता है तो हमारे रक्त में उपस्थित लाल रक्त कणिकाएँ उससे क्रिया करके उसे संसाधित (process) करती हैं और इस रासायनिक क्रिया से H2S (Hydrogen Sulphide) बनती है| H2S एक वाहक का काम करती है और हमारी नसों को शिथिल कर देती है जिससे उनमें रक्त का प्रवाह अच्छे से हो पाता है| ये आगे चलकर हमें दिल की बीमारियाँ होने से बचाती है|

बहुत सारे लोग कहते हैं कि वो कच्चा लहसुन खाते हैं लेकिन कच्चा लहसुन उन्हें वो सारे लाभ नहीं दे पाता है| इसका कारण है कि Allicin को उसके बनने के 1 घंटे के अन्दर ही खाना होता है, इसकी गंध बहुत ख़राब होती है और सबसे बड़ी समस्या जो है वो ये है कि Allicin बहुत ही अस्थिर होता है| ये जैसे ही शरीर में जाता है बहुत कम समय के लिए ही जीवित रहता है और अलग-अलग यौगिकों में तुरंत ही परिवर्तित होना शुरू हो जाता है अर्थात् जिस कार्य के लिए उसे लिया गया है वो अपना पूरा कार्य नहीं कर पाता|

कच्चे लहसुन की सीमाएं – आप अधिक लहसुन नहीं खा सकते क्योंकि यदि 4-5 कच्चे लहसुन से अधिक खायेंगे तो वो शरीर में बहुत गर्मी पैदा करता है| तो जब आप कच्चे लहसुन को खाते हैं तो सभी को पता है कि हमारे पेट में बहुत सारे अम्ल (Acid) होते हैं जो उसको ख़राब कर देते हैं| हमारी जो  छोटी आंत होती है वो पौष्टिक तत्वों को ग्रहण करती है और जब Allicin उसमें जाता है तो आंतो की उपकला कोशिकाएं (Intestinal Epithelial Cells) उसको विघटित कर देती हैं| ये हमारे शरीर के pH स्तर को भी ख़राब कर देता है| लहसुन खाने से मुँह से दुर्गन्ध भी आती है जिससे बहुत से लोग बात करने से भी कतराते हैं|

Stabilized (स्थिर) Allicin ON & ON DiabaLife में 100% Stabilized Allicin का उपयोग किया गया है जो कि एक पेटेंटेड सूत्र (Patented Formula) है | भारत में आज तक कभी भी किसी और ने अपने किसी भी उत्पाद में 100% Stabilized Allicin का उपयोग नहीं किया है| इसके कुछ मुख्य बिन्दु:

  1. Stabilized Allicin एक Patented प्रक्रिया का परिणाम है जिसका शुद्धिकरण किया जाता है और जब ये हमारे शरीर में जाएगा तो कुछ भी इसे क्षतिग्रस्त नहीं कर पायेगा| इतिहास में ये ऐसा पहला अवसर है|
  2. Allicin लहसुन नहीं है लेकिन जो कार्य लहसुन का है वो सारा कार्य Allicin करता है और ये गाढ़ी अवस्था (concentrated form) में बहुत ही सक्रिय कारक (active factor) होता है|
  3. Stabilized Allicin मधुमेह के टाइप – 1 और टाइप – 2, दोनों प्रकार के रोगियों के लिए बहुत अधिक लाभकारी है|
  4. HbA1c को नियंत्रित करता है, कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है|
  5. Stabilized Allicin, मधुमेह के रोगोयों के लिए एक अत्यधिक महवपूर्ण नैदानिक घटक (highly significant clinical agent) है| आज के समय में जहाँ हम बहुत अधिक anti-biotic दवाइयाँ, जो कि जीवाणुओं से होने वाले संक्रमण को समाप्त करती हैं, ले रहे हैं तो कुछ समय बाद कुछ इस तरह के जीवाणु बनना शुरू हो जाते हैं जिन पर ये दवाइयाँ कुछ असर नहीं करतीं| Stabilized Allicin सबसे शक्तिशाली प्राकृतिक anti-biotic है और MRSA (Methicillin-resistant Staphylococcus Aureus) जो एक Super-bug है जिस पर कोई anti-biotic काम नहीं करता, उस पर भी Stabilized Allicin अच्छे से काम करता है|
  6. Stabilized Allicin का सबसे बड़ा लाभ है कि ये हल्का अम्लीय होता है और जब ये पेट में जाता है तो वहाँ उपस्थित अम्ल इसे अच्छे से क्रियान्वित कर पाते हैं|
  • दालचीनी – दालचीनी, रक्त में शुगर को नियंत्रित करके उसे 18% से 29% तक कम करती है, ख़राब कोलेस्ट्रॉल को 7% से 27% तक कम करती है और Triglycerides को भी 23% से 30% तक कम करती है| टाइप – 2 प्रकार के मधुमेह रोगियों के लिए ये इन्सुलिन का अच्छा विकल्प है|
  • Alpha Lipoic Acidमधुमेह के रोगियों के लिए ब्रोकोली (Broccoli) बहुत अच्छी मानी जाती है और इसी से Alpha Lipoic Acid को निकाला गया है| ये एक प्राकृतिक प्रतिउपचायक (anti-oxidant) है| ये एकल सबसे महत्वपूर्ण पूरक है जिसे आप मधुनेह के इलाज के लिये ले सकते हैं| चयापचय (Metabolic) मार्ग में सुधार करता है जो अक्सर मधुमेह में बदल जाता है| जिन मधुमेह के रोगियों की नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं तो उनके लिए भी Alpha Lipoic Acid बहुत अच्छे से काम करता है|
  • Chromium Picolinate – ये पालक में से निकाला गया है| मधुमेह के रोगियों में Chromium की कमी हो जाती है जिसकी वजह से शरीर शुगर या ग्लूकोस नहीं ले पाता तो ये उसमें सहयोग करता है|
  • गुड़मार – जैसा कि इसके नाम से ही विदित है की ये गुड़ (Sweetness) को मारने का कार्य करता है| इसमें शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए Gymnemic Acid जैसे कई घटक होते हैं| इसकी पत्तियों का अर्क भी इसमें उपयोग किया गया है| इसका उपयोग करने के बाद मधुमेह के रोगोयों की तीनों जाँचों में बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिले|
  • नीम – नीम एक कल्पवृक्ष की तरह है जिसका प्रत्येक भाग औषधीय गुणों से भरपूर है| ये तनाव से मुक्ति दिलाता है, यकृत (Liver) को सुरक्षा देता है, अग्नाशय को उत्तेजित करता है, रोगाणुरोधी है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है| ये प्राकृतिक रूप से शुगर को कम करने में सहयोग करता है| मधुमेह के रोगोयों पर इसके बहुत अच्छे परिणाम दखे गए हैं|
  • सुपारी – पुराने समय में लोग खाना खाने के बाद सुपारी खाते थे| सुपारी पाचन को बढ़ावा देती है, अग्नाशय को उत्तेजित करती है और उसे सन्देश देती है इन्सुलिन बनाने के लिए| ये अतिरिक्त चर्बी को कम करने में भी सहयोग करता है|
  • करेला – मधुमेह के रोगियों का सबसे अच्छा मित्र| ये भी अग्नाशय को इन्सुलिन बनाने के लिए उत्तेजित करता है| ये यकृत को भी सुरक्षा देता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और एक बहुत ही दमदार प्रतिउपचायक (anti-oxidant) है|

DiabaLife के क्या लाभ हैं?

DiabaLife लेने से यदि किसी व्यक्ति का 1% भी HbA1c कम हो जाता है तो उनको:
  • नसों के क्षतिग्रस्त होने की संभावना 25% कम हो जाती है|
  • गुर्दों के क्षतिग्रस्त होने की संभावना 25% कम हो जाती है|
  • आँखों की रोशनी जाने की संभावना 25% कम हो जाती है|
  • मोतियाबिंद होने की संभावना 19% कम हो जाती हैं|
  • हृदयाघात आने की संभावना 16% कम हो जाती है|
  • मृत्यु होने और किसी अंग को काटने की संभावना 43% कम हो जाती है|
  1. शुगर की मात्र को कम करता है|
  2. कभी कभी शरीर अपना बनाया हुआ इन्सुलिन उपयोग नहीं कर पाता तो उसे उपयोग करने में सहयोग करता है|
  3. अग्नाशय में उपस्थित Beta Cell को शक्ति देता है जिससे इन्सुलिन अधिक मात्रा में बने|
  4. आपको समग्र रूप से सहयोग करता है जिससे मधुमेह की वजह से होने वाली परेशानियों से बचा जा सके|
  5. कोलेस्ट्रॉल को कम करता है|
  6. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है|
  7. रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी सहयोग करता है|

DiabaLife एक पूर्ण रूप से प्राकृतिक, आयुर्वेदिक सूत्र है जिसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है| इसके अन्दर किसी भी तरह का कोई अप्राकृतिक रसायन नहीं है| इसकी शुद्धता का प्रमाण इससे मिलता है कि इसे भारत सरकार के आयुष मन्त्रालय से आयुष प्रीमियम सर्टिफिकेट मिला हुआ है| इसके बारे में और अधिक जानकारी के लिए हमसे सम्पर्क करें| ऐसे ही अन्य आयुर्वेदिक आहार और उत्पादों के बारे में सही एवं प्रमाणित जानकारी पाने के लिए हमारे इस Blog को सब्सक्राइब करें व उनके साथ साझा करें जिन्हें आप स्वस्थ देखना चाहते हैं| धन्यवाद|

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