How to keep Our HEART away from Diseases?
हृदय है तो जान है और जान है तो जहान है
मित्रों आज हम बात करने वाले हैं हमारे हृदय के बारे में| हृदय के बारे में सब लोग एक बात जानते हैं कि हृदय हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है जिसका कार्य हमारे पूरे शरीर में रक्त की आपूर्ति करना होता है| आइये, हमारे हृदय के बारे में कुछ जानकारियाँ लेते हैं:
- हृदय, हमारे शरीर में एकमात्र ऐसा अंग है जो कि धड़कता है| ये एक पंप की भांति कार्य करता है जिससे रक्त हमारे शरीर के हर एक अंग में हर एक जगह आसानी से पहुँच पाता है|
- हमारा हृदय आकार में बहुत छोटा होता है जैसे हम अगर अपने दोनों हाथों की मुठ्ठी को मिला लें तो लगभग इतना बड़ा हमारे हृदय का आकार होता है|
- इसका वज़न पुरुषों में लगभग 280 ग्राम से 340 ग्राम होता है और महिलाओं के हृदय का वज़न लगभग 230 ग्राम से 280 ग्राम होता है|
- हमारा हृदय एक दिन में 1,00,000 से अधिक बार धड़कता है और एक मिनिट में 60-80 बार धड़कता है|
- हमारा हृदय एक दिन में लगभग 6000 लीटर से 7500 लीटर रक्त की आपूर्ति करता है| अब आप ये देखिये कि हमारे शरीर में लगभग 5 से 6 लीटर रक्त होता है तो हृदय कितनी बार पंप करता होगा कि वो एक दिन में हमारे शरीर में 6000-7500 लीटर रक्त की आपूर्ति करता है|
कहने का तात्पर्य यह है कि ये एक बहुत छोटा सा अंग है और काम बहुत बड़े करता है तो हमें इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए| हृदय मांसपेशियों से बना हुआ एक अंग है और ये तब से कार्य कर रहा है जब हम अपनी माँ के गर्भ में ही थे और जब तक हम इस दुनिया में जीवित है तब तक ये धड़कता रहेगा| हमारे शरीर के बहुत सारे अंग आराम भी करते हैं किन्तु हृदय एकमात्र ऐसा अंग है जो कभी भी आराम नहीं करता| विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रत्येक वर्ष लगभग 1.70-1.80 करोड़ लोगों की मृत्यु केवल हृदय से सम्बंधित समस्याओं के कारण हो रही है|
हमारा हृदय क्या चाहता है?जैसा हमने जाना कि हृदय हमारे शरीर का एक बहुत विशेष अंग है तो अब बात करते हैं इसकी आवश्यकताओं की| हमारे हृदय को हमसे पाँच चीज़ें चाहियें:
- हृदय की मांसपेशियाँ शक्तिशाली हों
हृदय की मांसपेशियों को शक्तिशाली कैसे बनाएं? ऐसा तभी होगा जब हृदय के हर एक भाग में अच्छे से ऑक्सीजन, अच्छे से खाना, अच्छे से पोषण जा पायेगा| ये सारी चीज़ें हमें हमारे रक्त के द्वारा मिलती हैं अर्थात् यदि हृदय के हर एक भाग में रक्त की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति होगी तो हृदय को अच्छे से पोषण और ऑक्सीजन मिलती रहेगी|
हृदय की रक्त वाहिकाओं में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं होनी चाहिए| धमनियों में किसी भी प्रकार की रुकावट होने से वहाँ अच्छे से ऑक्सीजन नहीं पहुँच पायेगी, पोषण नहीं पहुँच पायेगा और हृदय का वह भाग दुर्बल हो जायेगा|हमारे हृदय की मांसपेशियाँ धड़कती रहती हैं| तो जब हम शांत चित्त होते हैं तो हमारा हृदय सामान्य रूप से धड़कता है किन्तु जब हमारा मन अशांत होता है या हमें किसी बात को लेकर तनाव होता है तो हमारा हृदय तीव्रता से या असामान्य रूप से धड़कने लगता है| इसीलिए कहते हैं कि अधिक तनाव होने से हमारे हृदय पर संकट आ सकता है| तो इन सभी बातों से बचाव करके हम हमारे हृदय की मांसपेशियों को सुदृढ़ कर सकते हैं|जैसा हम जानते हैं कि हमारा हृदय मांसपेशियों से बना है तो जैसे हम हमारे शरीर की अन्य मांसपेशियों को व्यायाम के द्वारा सुदृढ़ करते हैं वैसे ही जब हमारे हृदय की मांसपेशियाँ भी सुदृढ़ होंगी तो वो हमें बहुत सारी बीमारियों से बचने में सहायता करेंगी|
- रक्त वाहिकाओं (धमनियों) में कोई अवरोध ना हो
सर्वप्रथम हमें ये देखना है कि हमारा Lipid Profile सामान्य हो| क्या होता है ये? ये एक जाँच होती है जिसे Lipid Profile Test कहा जाता है| जब भी हृदय से सम्बंधित कोई बात होती है तो सबसे पहले ये जाँच करवाई जाती है| इस जाँच में हमें कोलेस्ट्रॉल, triglycerides, HDL (High-density lipoproteins) कोलेस्ट्रॉल (अच्छा), LDL (Low-density lipoproteins) कोलेस्ट्रॉल (बुरा), कोलेस्ट्रॉल अनुपात ये सब पता चल जाता है| जब ये सब अपनी सीमा में हैं तो ठीक हैं किन्तु जब ये सीमा से थोड़ी सी भी बाहर जाती हैं तो हमारे हृदय में परेशानियाँ होने लगती हैं|
LDL को कम करना चाहिए जिससे धमनियों में अवरोध नहीं हो| HDL और LDL को क्रमशः अच्छा और बुरा कोलेस्ट्रॉल क्यों कहा जाता है? HDL, बुरे और अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को यकृत तक लेकर जाने में सहायता करता है और हमारा यकृत उसे शरीर से बाहर निकल देता है| तो ये हमारे शरीर के लिए एक अच्छा कार्य कर रहा है इसलिए इसे अच्छा कोलेस्ट्रॉल कहते हैं जबकि LDL जब बढ़ जाता है तो ये कोलेस्ट्रॉल को हमारी धमनियों में ले जाने का कार्य करता है जो आगे चलकर धमनियों में रूकावट पैदा करता है जो कि एक बुरा काम है इसलिए इसे बुरा कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है|
Triglycerides के संग्रहण को कम करना| Triglycerides की समस्या भारतीयों में बहुत अधिक देखी जाती है| भारतीयों में हृदयाघात कि समस्या इसी वजह से अधिक देखी जाती है| ये एक तरह का वसा होता है जो कि हमारे खाने में पाया जाता है| हमारे खाने में हम बहुत तैल, घी का उपयोग करते हैं| हमारे खाने की हर वस्तु में इनका उपयोग होता है तो जब हम ऐसे पदार्थों का अधिक उपयोग करते हैं जिनमें संतृप्त वसा (Saturated Fat) (एक ऐसा वसा जो कमरे के सामान्य तापमान पर जमा हुआ हो जैसे घी, मक्खन आदि) अधिक होता है तो Triglycerides का स्तर बढ़ जाता है और ये आगे चलकर हृदयाघात का एक मुख्य कारण बनता है|
Platelets के एकत्रीकरण को कम करना होगा| हमारे रक्त में तीन भाग होते हैं – श्वेत रक्त कणिकाएँ जो रोगाणुओं और जीवाणुओं से लड़ने का कार्य करती हैं, लाल रक्त कणिकाएँ जो हमारी रुधिरवर्णिका (Haemoglobin) है और platelets जो कि हमारे घाव से निकलने वाले रक्त को बंद करने का कार्य करती हैं| तो जब हमारी नसों में ये platelets जमने लगती हैं तो नसों में रुकावट पैदा होने लगती है| इससे बचाव के लिए हम हम हमारे शरीर को प्राकृतिक प्लेटलेट एकत्रीकरण अवरोधक [Platelet Aggregation Inhibitors (PAI)] उपलब्ध करवाते हैं तो इस रूकावट से हम बच सकते हैं|
- रक्त वाहिकाएँ शक्तिशाली हों, उनमें लचीलापन होना चाहिए
जैसा कि हमने अपने पिछले लेख में पढ़ा था की हमारे शरीर में लगभग 72,000 से भी अधिक नसें होती हैं| इन नसों का लचीला होना बहुत अधिक महत्वपूर्ण है| जब इन नसों में कुछ भी जमने लगता है तो इन नसों का लचीलापन कम होने लगता है| तो जब इन नसों का लचीलापन बनाए रखा जायेगा तो शरीर के हर एक भाग में रक्त की सही प्रकार से आपूर्ति होगी|
एक अनुसन्धान में ये पाया गया है कि भारतीयों की रक्त वाहिकाएँ, पश्चीमी देशों के लोगों की रक्त वाहिकाओं की अपेक्षा संकरी होती हैं| इसलिए भारतीयों में उच्च रक्तचाप और हृदय सम्बंधित समस्याएँ अधिक देखी जाती हैं|
- शरीर के हर भाग में सही तरीके से रक्त पहुँचाना चाहिए
हमारे शरीर के हर भाग में रक्त की निर्विघ्न रूप से आपूर्ति होनी चाहिए|
रक्त वाहिकाएँ तीन प्रकार की होती हैं|
- धमनियाँ (Arteries) – ये हमारे ह्रदय से रक्त को हमारे पूरे शरीर में प्रवाहित करती हैं| जो ऑक्सीजन हम सांस के द्वारा लेते हैं वो हमारे फेफड़ों में जाती है और फेफड़ों से वो हृदय में जाती है| फिर ये ऑक्सीजन वाला रक्त हमारे पूरे शरीर में धमनियों के द्वारा पहुँचाया जाता है|
- नसें (Veins) – जो कार्बनडाईऑक्साइड हमारे शरीर में बन रहा है, ये उसे वापस हृदय तक लेके जाती हैं और वहाँ से वो हमारे फेफड़ों में जाती है और वहाँ से वो बाहर निकल जाती है|
- केशिकाएँ (Capillaries) – ये बहुत पतली (बाल जितनी पतली) नसें होती हैं जैसे हमारी आँखों के पास की नसें, हमारे हाथ-पैरों की उँगलियों के अंत वाली नसें आदि| तो जिन अंगों के पास ये केशिकाएँ हैं उन अंगों तक ये ऑक्सीजन पहुंचाती हैं और वहाँ से कार्बनडाईऑक्साइड नसों तक पहुँचाती हैं|
- हृदय में किसी भी तरह की कोई सूजन नहीं होनी चाहिए
जब हमारे ह्रदय में किसी भी प्रकार का संक्रमण होता है या सूजन आती है तो वो बहुत सारी समस्याओं को अपने साथ लेके आती है| जैसे:
अन्तर्हृद्शोथ (Endocarditis) – हृदय की अन्दर की दीवार में जब सूजन या संक्रमण हो जाता है तो उसे अन्तर्हृद्शोथ कहते हैं|
हृदय को दुर्बल करने वाले कारक
- अत्यधिक तनाव
इसके बारे में हम अपने पिछले लेख, प्रतिरोधक क्षमता, में पढ़ा था कि तनाव किस तरह से हमारे शरीर पर असर डालता है| तनाव उन व्यवहारों और कारकों को प्रभावित करता है जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं जैसे उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर| इसमें कोई संदेह नहीं है कि अत्यधिक तनाव हमारे ह्रदय के साथ-साथ पूरे शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है|
- जीवनशैली / खान-पान
यदि हमारी जीवनशैली आसीन जीवनशैली है जैसे कोई शारीरिक श्रम नहीं करना, सुस्त रहना, आलस करना आदि तो हृदय की मांसपेशियाँ दुर्बल हो जाती हैं या खाने में अधिक मात्र में वसा लेते हैं जैसे संतृप्त और ट्रांस वसा तो इनसे भरपूर आहार LDL (बुरा) कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं जिससे हृदय रोग होने की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है। धूम्रपान व मद्यपान भी हृदय को दुर्बल करने का एक बड़ा कारण है|
- व्यायाम की कमी
जब हम अपने दैनिक जीवन में कोई व्यायाम नहीं करते और दिनभर बैठे या लेटे रहते हैं या आसीन व्यवहार करते हैं जैसे काम पर जाने के लिए अपने कार में बैठना, फिर बैठकों में बैठना, या फिर सोफे पर बहुत देर तक टीवी देखना आदि| इसे Couch Potato Syndrome भी कहते हैं| ये भी हमारे हृदय को दुर्बल करने का बहुत बड़ा कारण है|
- अनुवांशिकता
ऐसा कहा जाता है कि यदि घर में पिता या दादा को हृदय सम्बंधित कोई समस्या है तो बच्चों में भी होगी| ऐसा आवश्यक नहीं है| ऐसा क्यों कहा जाता है, यदि किसी परिवार में हमेशा से ही अधिक वसायुक्त भोजन किया जाता है तो आने वाली हर पीढ़ी को ये समस्या होगी किन्तु यदि किसी के पिता या दादा को ये समस्या है और बच्चे अपनी जीवनशैली को बदल लें तो इस आनुवंशिक चक्र को रोका जा सकता है|
- Triglycerides की अधिकता
ट्राइग्लिसराइड्स की अधिकता धमनियों को कठोर करने या धमनी की दीवारों (arteriosclerosis - धमनीकाठिन्य) को मोटा करने में योगदान करते हैं, जिससे हृदयाघात, दिल का दौरा और अन्य हृदय रोगों की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है। अत्यधिक उच्च ट्राइग्लिसराइड्स अग्न्याशय (pancreatitis - अग्नाशयशोथ) में तीव्र सूजन भी पैदा कर सकते हैं|
कैसे जाने कि हमारा हृदय स्वस्थ है?
- साँस लेने में परेशानी होना
कई बार हम देखते हैं कि हम लम्बी और गहरी साँस नहीं ले पाते| ऐसा क्यों होता है? जब हमारे हृदय की मांसपेशियाँ दुर्बल होने लगती हैं तो वो ऑक्सीजन को पूरी तरह से ग्रहण नहीं कर पाता है| जिससे हमारे फेफड़ों में पूरी साँस नहीं जा पाती| तो यदि हमें साँस लेने में परेशानी आ रही है तो इसका अर्थ है कि हमारे हृदय में कुछ परेशानी है|
- सीने में दर्द
यदि हमारे सीने में बहुत जल्दी जल्दी दर्द होता है या एक हल्का-हल्का दर्द बना रहता है तो ये भी दर्शाता है कि हमारे हृदय में कुछ परेशानी हो सकती है|
- जी मिचलाना या उल्टी होना
हम कुछ भी खाएं या नहीं खाएं लेकिन हमारा जी मिचलाता है ये कुछ भी खाते ही उल्टी हो जाती है तो इसका अर्थ भी हमारे हृदय का दुर्बल होना हो सकता है|
- घबराहट होना / पसीने आना
जब बिना किसी बात के घबराहट होने लगे, बेचैनी होने लगे या पसीने आने लगें तो भी हमें हमारे हृदय पर ध्यान देना चाहिए| ये अस्वस्थ हृदय की निशानी है|
- चक्कर आना
चक्कर आने के और भी कारण हो सकते हैं किन्तु ह्रदय का दुर्बल होना भी एक कारण है| थोड़ी सी सीढ़ियाँ चढ़ लेते हैं तो साँस फूलने लगती है, चक्कर आने लगते हैं तो ये भी हृदय की दुर्बलता को बताते हैं|
हृदय को सुरक्षित रखने का सर्वोत्तम उपाय
हृदय को सुरक्षित रखने के लिए जो सबसे श्रेष्ठ उपाय है, वो है Elements Wellness की Well Hart. सबसे पहले बात करते हैं कि ये है क्या?
Well Hart के अन्दर कुछ ऐसी जड़ीबूटियों का प्रयोग किया गया है जो कि हृदय के लिए बहुत ही लाभकारी हैं| आइये इनके बारे में जानते हैं|
- संस्कारित मेथी
ये संस्कारित मेथी क्या है? मेथी दाना को पानी में भिगोकर फिर उसे बाहर निकलकर 2-3 दिन के लिए छोड़ देते हैं| फिर जब वो अंकुरित हो जाती है तो उसे सुखाकर उसे पीस लेते हैं और उसका चूर्ण बना लेते हैं| इस पूरी प्रक्रिया को संस्कारित मेथी कहते हैं| ये ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करती है, पाचन को सुधरती है और ये एक एन्टी-ऑक्सीडेंट का कार्य भी करती है|
- अर्जुन छल और पुष्करमूल
ये दोनों सहक्रियात्मक प्रकार से कार्य करते हैं| अर्जुन को हम सब जानते हैं| कहते हैं कि अर्जुन ने जिसे निशाना बनाकर अपना बाण छोड़ा वो बाण उस निशाने पर लगेगा ही लगेगा| इसलिए अर्जुन छाल का कार्य हमारे ह्रदय को स्वस्थ रखना है तो वो उसी पर कार्य करती है| पुष्करमूल हमारे हृदय की मांसपेशियों को शक्तिशाली बनता है, उनको सही आकर में लेके आता है और उनको अच्छे से धड़कने में सहायता करता है| नसों में लचीलेपन को बनाए रखता है| प्लेटलेट एकत्रीकरण [Platelet Aggregation Inhibitors (PAI)] से जो अवरोध हो रहा था उसे भी रोकता है| कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में सहायता करता है| बाज़ार में उपलब्ध ऐसी अन्य दवाइयों के बहुत अधिक दुष्प्रभाव देखे जाते हैं|
- मुनक्का, शतावरी और गुडूची
Well Hart में जो अन्य जड़ीबूटियाँ डाली गयीं हैं, ये तीनों उनकी कार्यक्षमता को बढ़ने का कार्य करते हैं| ये प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ने में सहायता करतीं हैं|
इसका नाम Well Hart क्यों है?
हिरण को हम सब जानते हैं और ये भी जानते हैं कि हिरण बहुत तीव्र गति से दौड़ते हैं और बहुत अधिक सक्रिय होते हैं| नर हिरण को अंग्रेजी में HART कहा जाता है| तो जो हमारे ILL Heart को WELL कर दे, उसे सक्रिय रखे इसलिए इसका नाम Well Hart रखा गया है|
Elements Wellness Well Hart पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है और इसके किसी भी प्रकार के कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है| इसका प्रमाण है कि इसे भारत सरकार के आयुष मन्त्रालय से आयुष प्रीमियम सर्टिफिकेट मिला है| इसके बारे में और अधिक जानकारी के लिए हमसे सम्पर्क करें| ऐसे ही अन्य आयुर्वेदिक आहार और उत्पादों के बारे में सही एवं प्रमाणित जानकारी पाने के लिए हमारे इस Blog को सब्सक्राइब करें व उनके साथ साझा करें जिन्हें आप स्वस्थ देखना चाहते हैं| धन्यवाद|
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